Jan Dhan Yojana: फाइनेंसियल इंक्लूजन जिसके पास खाने के लिए ना रोटी हो, ना सिर पर छप्पर हो, उसके लिए बैंक खाते की क्या जरूरत? जब पैसा ही नहीं है तो खाते का क्या करेंगे यह लोग? ऐसे ही कुछ सवाल हैं जो मोदी सरकार से पूछे! जब 28 अगस्त 2014 को यानी 11 साल पहले जब सरकार ने पीएम जेडीवाई यानी प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत! आज 11 साल के बाद क्या रही इस योजना की उपलब्धियां? और कैसे सिर्फ इस स्कीम ने पूरे ग्रामीण भारत को सरकार से सीधे जोड़ने का काम किया!
Jan Dhan Yojana
सरकार का यह कदम महात्मा गांधी के उस अंत्योदय वाले विचार को उतारने की कोशिश की है! जहां सुविधा अंतिम आदमी तक पहुंचाना ही सरकार का एकमात्र लक्ष्य है! आज जब हम प्रधानमंत्री जनधन योजना की 11वीं वर्षगांठ मना रहे हैं! तो गांव में बैठा वो किसान जिसके खाते में ₹6000 की रकम आ रही है! जिसे वो अपनी खेती किसानी की गाड़ी आगे बढ़ा रहा है! बच्चों की फीस भर रहा है! अनाज खरीद रहा है या फिर वो बूढ़ी अम्मा जिसका उसके आखिरी दिनों में पक्के घर का सपना पूरा हो पा रहा है!
पैसे तो पहले की भी सरकारों में आते थे! पर कितने उस आदमी तक पहुंचते थे! जिसे अमल में उसकी जरूरत थी! पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस पर कहा था कि हम अगर ₹1 दिल्ली से भेजते है! तो उसमें से केवल 15 पैसे ही गरीब तक पहुंचते हैं! बाकी 85 पैसे बीच में ही खर्च हो जाते हैं! मोदी सरकार इसी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन लेकर आई जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से मेरा खाता भाग्य विधाता कहा था! यही था प्रधानमंत्री जनधन योजना!
प्रधानमंत्री जन धन योजना
जनधन योजना ने गरीबों और हास्य पर खड़े लोगों को पहली बार एहसास दिलाया कि वह भी इस देश की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं! सोचिए जहां पहले खाता खुलवाने के लिए हजारों चक्कर और बड़े-बड़े पेपर वक्स करने पड़ते थे! वहीं अब एक गरीब किसान दिहाड़ी मजदूर रेहरी पटरी वाला यहां तक कि घर में रहने वाली एक घरेलू महिला जो एक छोटे से छोटे काम के लिए भी अपने घर के मर्दों पर निर्भर थी! आज उसके पास भी अपना जीरो बैलेंस अकाउंट है! इसके साथ ही उनको मिला रुपए कार्ड, ₹2 लाख का बीमा और साथ ही जरूरत पड़ने पर ₹10,000 तक का ओवरड्राफ्ट की सुविधा!
कमाल की बात यह है! कि 2014 से 2017 के बीच भारत में बैंक अकाउंट खुलवाने की रफ्तार 26% तक बढ़ गई जो वर्ल्ड एवरेज से चार गुना ज्यादा थी! यानी पूरी दुनिया यह देख रही थी! कि भारत ने फाइनेंसियल इंक्लूजन में क्या करिश्मा कर दिखाया! और आज जब 2025 में इस योजना के 11 साल पूरे हो चुके हैं! और इन 11 सालों में 56 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते खुल चुके हैं! जिनमें से करीब 67% यानी 67% खाते गांवों और छोटे-छोटे कस्बों में रहने वाले लोगों के हैं! और इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इन खातों में से 55% यानी 31 करोड़ खाते महिलाओं के नाम पर!
यानी अब गांव की औरतों के पास एक बड़ा गुल्लक है और वह है उनका अपना बैंक खाता! और वह भी अब इस चौथी सबसे बड़ी इकॉनमी की एक फाइनेंसियल हिस्सा! यह योजना सिर्फ बैंक अकाउंट तक ही सीमित नहीं रही बल्कि बीमा, पेंशन और बाकी सारे सरकारी सुविधाओं को डीबीटी यानी डायरेक्ट टू बेनिफिट ट्रांसफर से भी जोड़ा गया!
क्या होता है डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर)
अब जरा डीबीटी की ही बात कर लेते हैं! तो इससे पहले जब सरकार किसानों या मजदूरों के लिए किसी स्कीम का पैसा देती थी! तो पहले बिचौली उस पैसे में सेंध मार लिया करते थे! लेकिन जनधन खातों की वजह से अब पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाता है! इसे कहते है! डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर! यही वजह है! कि सरकारी योजनाओं की ट्रांसपेरेंसी बढ़ी! पैसों का जो लीकेज है! वो कम हुआ और लोगों तक सच में पूरा का पूरा पैसा पहुंचने लगा। और जब जनधन खाता, आधार और मोबाइल एक साथ जुड़े तो बना जैम टिनिटी! यही जैम ट्रिनिटी जो है! आज डिजिटल इंडिया की रीड बनी हुई!
लेकिन इस योजना का असर सिर्फ इकोनॉमिकल ही नहीं बल्कि सोशल भी रहा! 2022 की एक रिसर्च में पाया गया कि जब गरीब लोगों के पास बैंक खाता आ गया! तो उन्होंने सेविंग्स करना शुरू किया! तो अब अगर उनके ऊपर कोई संकट या दुख आया तो 2021 की एक एसबीआई की रिपोर्ट ने तो और भी दिलचस्प जो है चीज दिखाई! जहां ज्यादा जनधन खाते खुले वहां क्राइम रेट कम हुआ और शराब, तंबाकू जैसी चीजों की खपत भी घटी! अब आज के समय लगभग हर किसी के पास बैंक खाता है!
रिजर्व बैंक का फाइनेंसियल इंक्लूजन इंडेक्स
लेकिन लोग इन खातों का रेगुलर यूज नहीं कर रहे हैं! रिजर्व बैंक का फाइनेंसियल इंक्लूजन इंडेक्स के मुताबिक 2024 में हम इस इंडेक्स में 67 पॉइंट्स पर पहुंच गए हैं! और भारत लगातार फाइनेंसियल इंक्लूजन के फ्रंट पर तेजी से आगे बढ़ रहा है! तो 11 साल बाद जनधन की कहानी सिर्फ कागज पर ही नहीं बल्कि इसने जमीन पर भी असर दिखाया है! और जनधन योजना का मकसद केवल बैंक अकाउंट खोलना भर नहीं है बल्कि गरीबों और वंचितों को भारत की फाइनेंसियल ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बनाना था! मोदी सरकार का यह कदम जिसने सबको मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है!
यह भी देखें: https://allsarkarischeme.com/bihar-mahila-rojgar-yojana-2025/